मंगलवार, 2 जनवरी 2024

स्वागत, नव - वर्ष


       स्वागत नव -वर्ष!!

  प्रतीक्षा थी तुम्हारी व्यग्रता से ,

   इस  आशा और विश्वास  के साथ

   कि कुछ वांछित परिवर्तन

   अवश्य लेकर आओगे तुम.


  अब आ गए हो तो चाहते हैं, 

 सफल और सार्थक हो तुम्हारा प्रवास,

  जिसकी स्मृतियाँ सुख देती रहें,

  आने वाले अनेक वर्षों तक.


   देखती हूँ कि साथ में लाये हो, 

रहस्यमय उपहारों का एक झोला भी,

जिस पर जा रही है मेरी दृष्टि बार, बार 

  अनायास ही.


   मेरी बात को अन्यथा न लेना

   नहीं माँगने वाली हूँ अपने लिये

   कोई अनमोल वस्तु , अथवा अन्य 

   ऐसा कुछ जो तुम दे न सको.


  लेकिन  देना चाहती हूँ तुम्हें

  अपनी माँगों  की  एक सूची

  जो बहुत लम्बी तो नहीं, किन्तु 

  महत्वाकांक्षी  है अवश्य ही.


    मेरी इस  सूची में सबसे ऊपर है,

    युद्ध की विभीषिका से पीड़ित,

    अशांत  क्षेत्रों के लिये स्थायी शांति, 

    सुरक्षा,और स्थिरता का वातावरण.


    सत्ता और शक्ति के शीर्ष पर बैठे,

    नीति- नियंताओं, शासकों को,

    विवेक पूर्ण, मानवतावादी  दृष्टि- कोण,

    अपनाने का आत्म ज्ञान.


     दुनिया भर  के बेघरों के लिये

     सुरक्षित आशियाने,

     दुर्योग से अनाथ हुए बच्चों के लिये

     स्नेही परिवार का  आश्रय.


        विश्व भर के लोगों के मन में

      प्रकृति के प्रति माँ जैसा सम्मान, ताकि 

      रह सके अटूट, मानव और प्रकृति का 

      कल्याणकारी बंधन.


       अभी  के लिये बस इतना ही,

       दे सकोगे यदि इनमें से कुछ भी,

      तो कृतज्ञ  होंगे हम सब तुम्हारे प्रति 

      सदा सदा के लिये. 

      


     


      


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तीर पर कैसे रुकूँ मैं

 क्षितिज तक लहरा रहा चिर -सजग सागर    संजोये अपनी अतल गहराइयों में    सीप, मुक्ता,हीरकों  के कोष अगणित  दौड़ती आतीं निरंतर बलवती उद्दाम लहरें...