शनिवार, 10 फ़रवरी 2024

निः सर्ग की छवियाँ ( 1 )


    

1.  हे हिमालय

2. पर्वत - पुत्री

3. पहाड़ की नारी

4.   निर्झरिणी

5 .  नदी का रास्ता

6.  फूलों की घाटी

7 .  वृक्ष

8 .   सागर दर्शन

9 .  जाड़े के दिन

10 .   दिसम्बर की धूप 

11 .    मकर संक्रांति

12 .    वसंत की आहट

13.   स्वागत, ऋतुराज!

14.   ग्रीष्म का आतप

15 .    बरखा रानी

 16 .  इंद्र धनुष 

17 .  सूर्यास्त की बेला

 18 .    आकाश गंगा

  19.   जागती रहती है रात   

  20 .   हे ज्योतिपुंज!

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तीर पर कैसे रुकूँ मैं

 क्षितिज तक लहरा रहा चिर -सजग सागर    संजोये अपनी अतल गहराइयों में    सीप, मुक्ता,हीरकों  के कोष अगणित  दौड़ती आतीं निरंतर बलवती उद्दाम लहरें...