मंगलवार, 14 मार्च 2023

राम, तुम्हेँ प्रणाम!


समय की शिला पर लिखा 

सत्यम, शिवम्, सुंदरम की

  कल्पना को साकार करता

   एक सुंदर नाम,

   राम!

स्वयं परमेश्वर  थे तुम, अथवा 

उनके अनेक अवतारों में से कोई? 

दैवी  शक्तियों से संपन्न महामानव, या --

आजीवन अग्नि में तपकर कुंदन  बने,

एक सामान्य मनुष्य?


 माता-पिता के सहज स्नेह -भाजन,

अनुज  बन्धुओं के आदर्श  मार्गदर्शक,

ऋषि -मुनियों के यज्ञ, तपश्चर्या को,

निर्विघ्न संपन्न कराने का दायित्व निभाते 

 राजकुमार राम!


सघन वन के बीच , निर्जन एकांत में,

निर्दोष होकर  भी समाज से बहिष्कृत,

  संवेदनशून्य,शिलावत नारी को,

 समुचित सम्मान देकर नया जीवन  देते,

     उदार -ह्रदय , न्यायप्रिय राम!


  

पिता के आदेश को शिरोधार्य  किये 

 सत्ताऔर वैभव को तृणवत त्याग कर 

निर्विकार- मन  वन की दिशा  में, 

वीतराग सन्यासी से घर  छोड़ कर जाते  

  युवराजा राम!


 सुदूर  वन प्रान्तर में सदा  से उपेक्षित 

शोषित, पीड़ित, वनवासी समाज  को

 गले लगाकर मित्रवत अपनाते

  जन -जन के आदर्श नायक

   वनवासी  राम!


   अपरिमित वैभव और शक्ति के मद में

    आकंठ  डूबी अविवेकी सत्ता को

    अचूक  शर -संधान  से भू - लुंठित  कर

     असत्य  पर सत्य की विजय   सिद्ध करते

       परम पराक्रमी, धनुधारी राम


    समरसता व न्याय की आधारशिला  पर

   स्वर्गतुल्य अनुपम  "रामराज्य " के संस्थापक

   नीति,धर्म, संस्कृति  के सजग संपोषक

    सर्वकालिक पूजनीय, मर्यादा पुरुषोत्तम, 

            रघुवंशी  राम!!

         शत -शत  प्रणाम!!

 

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