रविवार, 22 जनवरी 2023

जाग रही है रात...


 सूरज के जाने के बाद,

जागती  रहती है वह उसके लौटने तक,

घने अँधेरे  में लिपटी, अदृश्य रह कर भी,

बनाये रखती अपनी स्वतंत्र अस्मिता.


गाँव- गली, कस्बे, नगर , महानगर,

खेत -खलिहान, कारखाने, अस्पताल,

हिमशिखर, नदियाँ,घाटियाँ , महासागर,

केसर की क्यारियों से  निर्जन मरुस्थलों तक.


  जागती रहती सदैव,

 उन कर्मवीरों का साथ देती,

 डटे रहते जो निरंतर कर्तव्य -पथ पर,

ताकि जन- जीवन चलता रहे अनवरत,


रह सकें गतिमान बसें, रेलें, और  वायुयान,

अस्पतालों में उपलब्ध हों 'इमरजेंसी' सेवाएं ,

 जागते मिलें नर्स, डॉक्टर ड्यूटी पर, 

दुर्घटना पीड़ितों को मिल पाए तत्काल राहत.


जागती रहती  ऊँचे  मचानों पर,

किसी "हलकू" और  "झबरा" की नींद को भगाती,

 हरी -भरी फसल  को चट  न  कर जाएँ जिस से,

ताक में बैठे, भूखे, जंगली  जानवर *1


  और  कहीं  हमदर्द  उन बेघरों  की बनकर,

 जाग रहे ठिठुरते जो संकरे  फुटपाथों  पर,

  अलाव की अस्थाई गर्मी के सहारे,

 सुबह की गुनगुनी धूप  की बाट  जोहते.



 'नाईट वाचमैन'  के साथ साथ चलती, 

 टॉर्च और  डंडा  लेकर सीटी बजाता,

   घूमता  रहता  जो अकेला सड़कों पर,

    "जागते रहो " की ऊँची टेर लगाता.


सीमाओं पर प्रहरियों  के साथ  खड़ी रहती,

 बर्फ़ीली चोटियों में  दीवार  बनकर,

सुनिश्चित  करते  जो सारे देश की सुरक्षा,

कभी कभी  तो देकर  प्राणों का बलिदान भी **2


 सोती नहीं  पल भर  कभी  कहीं वह 

प्रतिकूल मौसम, परिस्थितियों  में  भी.

 जागरूक रहती  सदा सूरज के आने तक,

निष्ठावान प्रतिनिधि  की भूमिका निभाती.


जागती रहती साँवली, सयानी  रात

जीवन - चक्र  को गतिमान  रखती 

सूरज  के जाने के बाद भी

उसके लौट आने तलक.


  

संदर्भ :-

*1-- कहानी सम्राट मुंशी  प्रेमचंद जी की मर्मस्पर्शी कृति  " पूस  की रात " 

 *02:-  लांस नायक  हनुमंथप्पा और  साथियों का बलिदान 

  

  

 

 सूरज डूबने के बाद उसके फिर आने तक
 जागती रहती है रात
घने अँधेरे  आवरण में लिपटी
अदृश्य होकर भी अपना अस्तित्व जताती 
  

   गाँव, कस्बे,शहर, महानगर
 खेत,खलिहान,कारखाने, अस्पताल 
 हिम शिखर, नदियाँ,झील,महासागर,
केसर की क्यारियों और जलते रेगिस्तानो तक 

जाग रहती है सदा 
रात- पारी के कामगारों के संग 
जो साथियों की ड्यूटी पूर्ण हो जाने पर
ले लेते सारा दायित्व अपने कंधों पर
ताकि जन- जीवन चलता रहे अनवरत .

गतिमान रह सकें बस, रेल, और वायुयान,
अस्पतालों में भर्ती रोगी पाएँ  समुचित देखभाल 
 परीक्षा की तैयारी में लगे युवाओं को
मिल जाय कुछ और समय भोर होने तक.


जागती रहती है वह
खेतोँ में मचान पर, किसी "हलकू और झबरा "** के संग
पकी फसल को चट  ना कर पाएँ जिस से 
 ताक में बैठे जंगली जानवर

और उन बेघरों की हमदर्द  बनकर भी 
जाग रहे ठिठुरते,जो नगरों के फुटपाथों  पर
अलाव की आग के अस्थायी सहारे में 
सुबह की पहली किरणों की बाट जोहते l  

 चलती रहती है वह 
'नाइट वॉचमैन' का साथ देती 
रात के अँधेरे में  टॉर्च-  डंडा लेकर
"जागते रहो"  की टेर लगाता
घूम  रहा जो अकेला, सुनसान सड़कों  पर 

सीमा पर प्रहरियों के संग विचरती
हिमानी चोटियों को भी  घर जैसा मान देते 
सुनिश्चित करते जो स्वदेश  की सुरक्षा
 (कभी कभी तो दे कर प्राणों का दान भी).** 2

 सोती नहीं कभी भी साँवली,सयानी रात
 किसी भी मौसम,परिस्थिति, परिवेश में 
 सूरज के लौटने तक निभाती  दायित्व सारे
 हो सकें साकार ताकि सपने हम सभीके .

 

 
  सन्दर्भ :
  * 1    कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की मर्मस्पर्शी कृति  'पूस  की रात ' के पात्र 
  **2    लांस नायक हनुमंथप्पा और साथिओं का बलिदान 
 
  





 

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