गुरुवार, 14 दिसंबर 2023

आज की चिंता


 पिछले कई महीनों से 

टेलीविज़न के परदे पर छाये रहते हैं

युद्धभूमि के विचलित कर देने वाले  दृश्य

 विद्युत - गति से एक छोर से दूसरे की ओर

 सनसनाते  मिसाइल, राकेट और बम वर्षक विमान


    रह - रह कर गड़गड़ाहट से थर्राता आकाश,

    और अप्रत्याशित बमवर्षा को झेलती धरती 

     धूल,  धुएं  और आग की लपटों  के बीच

    प्राण बचाने को  बदहवास  इधर -उधर भागते

    निर्दोष नागरिक.


      नित्य प्रति की सामान्य दिनचर्या पर 

     आतंक की  काली छाया  घिरते देख

     स्वयं से प्रश्न करते आबाल वृद्ध, नर, नारी

     कि क्या है उनका दोष  जो झेलनी पड़ रही है

      यह घोर आपदा!


      चूंकि हिंसा  सदैव उकसाती है प्रतिहिंसा को

     और प्रतिशोध का  क्रोधी पशु तो 

     सदैव सक्रिय रहता है अतीत को दुहराने के लिये 

     अतः कब और कहाँ जाकर रुकेगा यह संघर्ष

      यह बता पायेगा केवल भविष्य!


       जानती हूँ कि  निरर्थक है आशा करना

       कि शीघ्र  समाप्त हो जायगा यह उन्मादी  दौर 

        फिर भी, चाहती हूँ कि हो कोई चमत्कार

       और सदबुद्धि  मिले इन युद्ध -रत पक्षों को 

       सद्भावना पूर्वक  अपने विवादों को सुलझाने की.


        ताकि हो सके सके इस  धरती पर 

        शांतिपूर्ण सह - अस्तित्व के स्वर्णिम युग का आविर्भाव 

       और सुरक्षित हो सके मानव मात्र का अस्तित्व

       अविवेकी हिंसा और विनाश के दुष्प्रभाव  से.

  


        





      

     

     


       

    

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