बुधवार, 31 जनवरी 2024

दिसंबर की धूप


 दिसंबर की धूप  --

जैसे स्वर्ग से उतरी कोई स्वर्णपरी

 धरती के मुख पर जमे  तुषार कणों को

 पोंछती अपने कोमल स्पर्श से.


    दिसंबर की धूप  --

    जैसे  ग्रीष्म के अत्याचारों से त्रस्त 

    धरती की प्यास बुझाने उतरतीं 

     सावन की पहली ठंडी बौछारें.


      दिसंबर की धूप  --

     जैसे लम्बे अरसे से  बेरोजगार युवक के लिये 

     नौकरी का नियुक्ति पत्र लाता

      चिर - परिचित डाकिया.

      

      


      दिसंबर की धूप  --

      जैसे जाड़े की रात में फुटपाथ पर

      कांपते भिखारी को मिलने वाला

      गर्म कम्बल का अप्रत्याशित  उपहार.


      दिसंबर की धूप  --

     जैसे युद्ध में लापता सैनिक के परिवार को

     उसके सुरक्षित  होने की शुभ- सूचना देता

      सरकारी सन्देश 

       

      

     

      

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