प्यारी बेटियों!
ईश्वर की सुन्दरतम रचना हो तुम
निर्दोष और चित्ताकर्षक है--
तुम्हारी भोली चितवन.
जैसे सूरज और चाँद की किरणेँ
घुल मिल कर ओस की बूंदों में
चमक रही हों फूलों की पंखुड़ियों पर
उगते सूरज की रौशनी में.
तुम्हारा जन्म, जैसे
स्वयं परमेश्वर की इच्छा से
धरती पर होने वाली
सर्वाधिक आनंदमयी घटना.
होगा उस परम रचयिता को भी गर्व
तुम्हें अस्तित्व में लाने पर,
क्योंकि उसके अप्रतिम कौशल की ,
सजीव प्रतिमा हो तुम .
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