गुरुवार, 23 मार्च 2023

श्रद्धांजलि --- डॉक्टर अब्दुल कलाम


 देकर  नई पीढ़ी  को

अग्नि पंखों  का उपहार

उड़ गया  वह देवदूत अचानक ही

अंतरिक्ष की अनंत  ऊँचाईयों की ओर


  उस अनहोनी वाले दिन

 युवा छात्रों के एक दल को

अपने ज्ञान से विस्मित करता खड़ा था

प्रकाश- स्तम्भ सा  वह उनके सम्मुख


 मन्त्र - मुग्ध से सुन रहे थे सब

 वह ओजपूर्ण व्याख्यान, जिसका शब्द -शब्द था

विज्ञान के ख़ज़ाने की जादुई कुंजी

 और वक्ता स्वयं उपलब्धियों का दस्तावेज


    तभी निरभ्र आकाश से वज्रपात जैसा

     देखा सबने  वह दुर्भाग्य घटित  होता

     उनका कटे वृक्ष की तरह भूमि पर  गिर जाना

     स्तब्ध कर गया देश भर की धड़कनों को


      सोचती हूँ क्यों हुआ होगा वह  सब

     उनका यों अचानक  चले जाना

      क्या आया था कोई सन्देश उस लोक से

       कि उनकी जरूरत  थी  वहाँ पर  तत्काल ही!


       और हमने  देखा उन्हें  असमय  ही  विदा होते

        जो थे  सरलता और  विलक्षण  प्रतिभा के धनी

         जिनकी उपलब्धियाँ  अमिट गौरव हैं देश की

            जिनका जीवन  आदर्श   युवा पीढ़ी  का


          प्रखर  वैज्ञानिक, अतुल देशप्रेमी भी

          जनता के राष्ट्रपति, छात्रों  के मित्र

           संतों  के स्नेह भाजन, सादगी की प्रतिमा

          रत्नों  में श्रेष्ठ,  सच्चे अर्थ में भारत - रत्न 


               विदा संत विज्ञानी, विदा कर्मयोगी!

              जाते हो जब उस अमरों  के लोक को

              देखेंगे हम भी  नील गगन पर  दमकता

           " अब्दुल कलाम तारा " अब से हर रात में!

           

         

  

       


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तीर पर कैसे रुकूँ मैं

 क्षितिज तक लहरा रहा चिर -सजग सागर    संजोये अपनी अतल गहराइयों में    सीप, मुक्ता,हीरकों  के कोष अगणित  दौड़ती आतीं निरंतर बलवती उद्दाम लहरें...